वाह रे उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन

*बाहरी व्यक्ति नेता बन कर दे रहे है आन्दोलन की धमकी , डरा उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन प्रबंघन बैक फुट पर

चित्र : अविजित आनंद ( फाइल फोटो)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे पहले से ही अवैध रूप से अनुभवहीन बड़केबाबुओ की फौज ने पहले ही उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसकी सहयोगी कम्पनीयो के प्रबन्धको के पद पर कब्जा कर रखा है और अब इनकी अनुभवहीनता का फायदा कुछ खास संगठन उठा रहे है। यह संगठन कभी अखबारो व सोशल मीडिया के द्वारा विरोध दर्ज कराते हुए हमेशा सुर्खियो मे बने रहते है।

एक संगठन विशेष के नेता उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के उस प्रस्ताव का विरोध करते है जिसमें निदेशको की सेवानिवृत्त या तैनाती पाँच साल का करने का प्रस्ताव है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग मे याचिकाऐ लगाते है । वही दूसरी तरफ एक संविदा निविदा कर्मचारियो का एक संगठन जिसको की एक सेवानिवृत्त कर्मचारी चला रहा है और उसके प्रमुख महामंत्री सविदा के मामले मे अनशन करने जा रहे है जब कि इन दोनो संगठन के नेताओ का इस पावर कार्पोरेशन से दूर –दूर तक कोई लेना – देना नही है। यहां तक कि दोनो संविदा या निविदा कर्मी भी नही है और कर रहे है विभागीय नेतागीरी। जब कि निविदा कर्मचारी नेता को यह तक तो मालूम नहीं है कि जिस सविदा / निविदा कर्मचारियो कि नियुक्ति ना तो विभाग करता है , ना ही उनको हटाने का अधिकार विभाग के पास है परन्तु पूर्व मे अवैध रूप से नियुक्त बड़कऊ ने हजारो सविदा कर्मचारियो को अपने आदेश से बर्खास्त कर दिया था। जब इन बड़का बाबूओ को यह ही नही मालूम कि नियुक्ति और निष्कासन वही करता है , जिसने नियुक्ति की होती है परन्तु यहाँ तो उल्टी गंगा बहती है। एक तरफ संगठन के यह अधिकारी पहले आदोलन करते है तो एक विशेष वर्ग हाथो मे काली पट्टी बांध कर इनका साथ देता हैं और दूसरे संगठन के नेता ज्ञापन देने के बहाने बड़का बाबुओ को अपनी शक्ति दिखाते है फिर इन्ही बड़का बाबूओ को इन्हीं सविदा कर्मियो से चंदा लेकर अपने सम्मेलन मे बुला कर सम्मानित कर अपनी मतलब की रोटिया सेंकते हैं। यह नेतागण एक तरफ बड़का बाबूओ को अपनी संगठन की शक्ति से डराते है और दूसरी तरफ इनके साथ अपनी फोटो खिचा कर उनको बडा सा फ्रेम कर आफिस मे लगा कर इन संगठन के लोगो पर यानि अपने ही लोगो पर रौब गाठते है यानि इनकी ना हीग लगे ना फिटकरी रंग चोखा ही चोखा । खैर ….
*** यह लेख अविजित आनंद , सम्पादक – समय का उपभोक्ता ( राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र ) , लखनऊ द्वारा लिखा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *