- भारत के राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया
- उच्च शिक्षण संस्थानों में बेटियों के बेहतर प्रदर्शन में विकसित भारत और बेहतर समाज की झलक
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल नैतिकता तथा भारतीय ज्ञान परंपरा से स्थापित होंगे सामाजिक संरचना के नए प्रतिमान
- युवा देश की अर्थव्यवस्था और विकास हेतु भविष्य के चालक
- विद्यार्थी नये भारत के निर्माण में भागीदार बनें
- विश्वविद्यालय परिसर अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों
का केंद्र बनें अच्छे उद्यमी व रोजगार सृजक बनें विद्यार्थी :राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
लखनऊः भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने आज वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप सम्मिलित हुईं। इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की गरिमामयी उपस्थिति रही।
दीक्षांत समारोह में 65 गोल्ड मेडल और 77,692 छात्र-छात्राओं को डिग्री का वितरण किया गया। 65 में से 51 छात्राओं तथा 14 छात्रों ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। कुल गोल्ड मेडल प्राप्त करने वालों में 78 प्रतिशत संख्या छात्राओं की है। स्नातक में 57 प्रतिशत व स्नातकोत्तर में 68 प्रतिशत उपाधियां छात्राओं ने प्राप्त की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में बेटियों के बेहतर प्रदर्शन में विकसित भारत और बेहतर समाज की झलक दिखाई देती है। उन्होंने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश के रूप में स्थापित करने के राष्ट्रीय संकल्प को पूरा करने में विद्यापीठ के विद्यार्थियों और आचार्यों की भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका बतायी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दो भारत रत्नों का इस संस्थान से जुड़ना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की गौरवशाली विरासत का प्रमाण है। भारत रत्न डॉ. भगवान दास इस विद्यापीठ के पहले कुलपति थे और पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री इस संस्था के पहले बैच के छात्र थे। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपने आचरण में अपनायें।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विद्यापीठ की यात्रा देश की आजादी से 26 साल पहले गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ शुरू हुई थी। असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था के रूप में यह विश्वविद्यालय हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सभी छात्र स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रीय आदर्शों के ध्वजवाहक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि काशी विद्यापीठ का नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखने के पीछे का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। उन आदर्शों पर चलकर अमृत काल में देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना ही विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माण संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि वाराणसी प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रहा है। आज भी इस शहर की संस्थाएँ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षकों से ज्ञान के केंद्र की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को समृद्ध करते रहने का आग्रह किया।
इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह में उपाधि/पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं व बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
राज्यपाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें गरीब, कमजोर व महिलाओं के लिए आशा की किरण व प्रेरणा स्रोत तथा महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल बताया।
राज्यपाल जी ने काशी को आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक धरती बताते हुए काशी की सेवा, स्वाद, संस्कृति और संगीत की प्रशंसा की और कहा कि जी-20 में वाराणसी आये विदेशी मेहमानों को इसने आकृष्ट किया। उन्होंने काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी बताते हुए काशी के उत्सव, गीत, संगीत आदि की भी चर्चा की। इस क्रम में राज्यपाल जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि इसके अंतर्गत मूल विषय, वैकल्पिक विषय और कौशल विकास के साथ नैतिकता तथा भारतीय ज्ञान परंपरा की शिक्षा को भी शामिल किया गया है, जिससे सामाजिक संरचना के नए प्रतिमान स्थापित होंगे। उन्होंने विद्यापीठ द्वारा समाज उपयोगी शोध कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जा रही शोध परियोजना की प्रशंसा करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न संस्थाओं के साथ शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए एम0ओ0यू0 पर हर्ष व्यक्त किया।
राज्यपाल ने युवाओं को देश की अर्थव्यवस्था और विकास हेतु भविष्य का चालक बताते हुए कहा कि युवाओं को शिक्षा कौशल और मूल्यों के माध्यम से उत्पादक मानव संसाधन के रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए। उन्होंने नव-प्रवर्तन के क्षेत्र में भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य के प्रयासों को सराहनीय बताया तथा भारत को शून्य, योग व आयुर्वेद का जनक बताया।
राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय द्वारा अनूठी पहल के रूप में लैंगिक समानता हेतु एक ट्रांसजेंडर सेल की स्थापना को प्रशंसनीय बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय से भिक्षावृति में संलग्न बच्चों को शिक्षा की ओर उन्मुख करने हेतु अपील की तथा इस दिशा में कार्य करने हेतु स्वयं सेवी संस्था ‘‘उम्मीद’’ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विद्यार्थियों से नये भारत के निर्माण में सहभागी बनने व सभी कौशलों में निपुण होने की अपील की।
राज्यपाल जी ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर को अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों का केंद्र होना चाहिए, जिससे छात्र छात्राएं नवीनतम प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ सकें। उन्होंने विद्यार्थियों को अच्छे उद्यमी बनने व दूसरों के लिए रोजगार के अवसर सृजन करने का आह्वान किया। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान को एक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि मजबूत, जीवंत व समावेशी भारत बनाने के लिए सभी को समान रूप से मजबूत होना होगा।
इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आनंद कुमार त्यागी, विश्वविद्यालय के कार्य परिषद, विद्या परिषद, उपाधि प्राप्तकर्ता, छात्र एवं छात्राएं तथा अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।
- नैमिष प्रताप सिंह