वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री की अध्यक्षता में संविधान दिवस के अवसर पर संविधान की उद्देशिका का किया गया पाठन

संविधान दिवस’ मनाने की परम्परा प्रारम्भ करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री है धन्यवाद के पात्र : वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री

संविधान दिवस का उद्देश्य है कि देश का हर नागरिक, हर आम आदमी संविधान के बारे में जाने, उस पर चिंतन करे और उसको अपने जीवन में उतारे

भारत का संविधान लोकतांत्रिक व्यवस्था के शाश्वत एवं मूल सिद्धांतों की अभिव्यक्ति, यह संविधान सभा के दूरदर्शी विद्वान सदस्यों के सामूहिक ज्ञान एवं बहुमूल्य अनुभवों का सार

संविधान भारत की सर्वोच्च विधि है जिससे शासन तंत्र के सभी अंग कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के कर्तव्य एवं दायित्व का निर्धारण हुआ

हमारा संविधान राष्ट्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान तथा जन आकांक्षाओं की पूर्ति का एक सक्षम माध्यम साबित हुआ

संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था कि समाज में किसी प्रकार की असमानता ना रहे, इसके लिए यशस्वी प्रधानमंत्री जी एवं मा0 मुख्यमंत्री जी निरंतर प्रयासरत

हमारे संविधान में स्थायित्व के साथ-साथ परिवर्तनशीलता का एक साथ समावेश : समाज कल्याण मंत्री

संविधान के मूल्य एवं आदर्शों से संबंधित विषय पर आयोजित वाद विवाद एवं निबंध प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन ऑडिटोरियम में संविधान दिवस के अवसर पर संविधान की उद्देशिका का पाठन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारीगण एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों एवं विभिन्न स्कूलों से आए छात्र-छात्राओं ने सामूहिक रूप से संविधान की उद्देशिका का पाठन किया। इस अवसर पर संविधान के मूल्य एवं आदर्शों से संबंधित विषय पर आयोजित वाद विवाद एवं निबंध प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।


संसदीय कार्य मंत्री ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गांधी जी ने संविधान बनने के पहले कहा था कि ‘मैं ऐसे संविधान के लिए जोर लगाऊंगा, जो भारत को दासत्व व संरक्षण से मुक्त कर दे, मैं ऐसे भारत के लिए काम करूंगा जिसमें गरीब से गरीब आदमी को लगे कि अपने देश को बनाने में उसकी बात भी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 से पहले संविधान दिवस मनाने के संबंध में कोई विचार नहीं किया गया। वर्ष 2015 में पूरे देश में ‘संविधान दिवस’ मनाने की परम्परा प्रारम्भ करने के लिए भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धन्यवाद के पात्र हैं। संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य है कि देश का हर नागरिक, हर आम आदमी संविधान के बारे में जाने, उस पर चिंतन करे और उसको अपने जीवन में उतारे।
मंत्री खन्ना ने कहा कि भारत का संविधान लोकतांत्रिक व्यवस्था के शाश्वत एवं मूल सिद्धांतों की अभिव्यक्ति है। यह संविधान सभा के दूरदर्शी विद्वान सदस्यों के सामूहिक ज्ञान एवं बहुमूल्य अनुभवों का सार है। दुनियां के लगभग 60 देश के संविधानों में जो अच्छी बातें थी इसका समावेश इस संविधान में मिलता है। भारत का संविधान सरकारी निकायों के राजनीतिक कोड, संरचना, प्रक्रिया, शक्तियों और कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करता है और देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार, मूल सिद्धांत और कर्तव्य भी प्रदान करता है। संविधान भारत की सर्वोच्च विधि है, जिससे शासन तंत्र के सभी अंग कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के कर्तव्य एवं दायित्व का निर्धारण हुआ है। संविधान से मिलने वाली शक्तियों से हमें हर कठिन कार्य को सरलता से करने और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। देश के 17 संसदीय चुनाव व 300 विधानसभाओं के सफल चुनाव संविधान में निहित शक्तियों को सत्यापित करते हैं। हमारा संविधान राष्ट्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान तथा जन आकांक्षाओं की पूर्ति का एक सक्षम माध्यम साबित हुआ है।


संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित हम भारत के लोग शब्द से स्पष्ट है कि उनमें ही संप्रभुता निहित है तथा उन्हीं के नाम पर संविधान को अंगीकार किया गया है। यह संविधान नागरिकों को सशक्त बनाता है। देश के नागरिक संविधान का अनुसरण, पालन व संरक्षण कर संविधान को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। संविधान दिवस मनाने की परंपरा भारत सरकार द्वारा इस उद्देश्य से शुरू की गई कि भारत के नागरिकों को अपने संविधान को जानने व उसके अधिकारों तथा कर्तव्यों के प्रति उसको जागरूक करने हेतु एक दिशा दी जा सके तथा प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने से हमें यह जानने का अवसर प्राप्त हो सके कि किन कठिनाइयों के साथ भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की है। संविधान में निहित मूल्य का संरक्षक आम नागरिक को बनाया गया है तथा आम नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान में निहित मूल्यों को संरक्षित करें। इस प्रकार हम सभी देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले व संविधान निर्माता को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान कर सकते हैं।


मंत्री खन्ना ने कहा कि समाज परिवर्तनशील है, ऐसी दूरदर्शिता रखते हुए डॉ0 आंबेडकर ने समय अनुसार संविधान में परिवर्तन हो सके, इसके लिए इसे लचीला बनाया। अब तक हमारे संविधान में सौ से अधिक संशोधन हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में मूल अधिकार तो थे, परंतु मूल कर्तव्य नहीं थे, संशोधन के माध्यम से हमारे संविधान में मूल कर्तव्यों को समाहित किया गया। परिवर्तनशील समाज को देखते हुए आज आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को तथा महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया गया, यह संविधान के लचीले होने का ही परिणाम है। संविधान निर्माताओं ने हमारे संविधान में अंतरराष्ट्रीय शांति और संबंधों के बारे में भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि हम अधिकारों की तो बात करते हैं परंतु हमें संविधान में दिए गए कर्तव्यों का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकार एवं कर्तव्य दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था कि समाज में किसी प्रकार की असमानता ना रहे, इसके लिए यशस्वी प्रधानमंत्री जी एवं मा0 मुख्यमंत्री जी निरंतर प्रयासरत हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि हमारे संविधान में स्थायित्व के साथ-साथ परिवर्तनशीलता का एक साथ समावेश किया गया है। हर नागरिक को राजनीतिक अधिकार देते हुए सभी को मताधिकार का अधिकार दिया गया है। भौगोलिक, सामाजिक एवं तकनीकी दृष्टिकोण से समय के साथ आए परिवर्तन के अनुसार हमारे संविधान में समय-समय पर संशोधन किया गया।
कार्यक्रम को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे तथा अपर महाधिवक्ता अनिल प्रताप सिंह ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर विधायक डॉ0 नीरज बोरा सहित जनप्रतिनिधिगण, अपर मुख्य सचिव होमगार्ड्स अनिल कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री (गृह एवं सूचना )संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव संसदीय कार्य जे0पी0 सिंह, निदेशक सूचना शिशिर सहित वरिष्ठ अधिकारी, छात्र छात्राएं एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

*** नैमिष प्रताप सिंह

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