विधानसभा अध्यक्ष को सेंट्रल हाल दिखा लेकिन विधान सभा के भीतर का भ्रष्टाचार और अनियमितता नहीं

  • पत्रकारों को सेंट्रल हाल से बेदखली के लिए सीधे जिम्मेदार है विधान सभा अध्यक्ष और प्रमुख सचिव विधानसभा
  • आखिर वह कौन सी मजबूरी है जो इतने विवादों के बावजूद प्रमुख सचिव विधानसभा अपने पद पर है शोभायमान

चित्र : विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना – पत्रकारों को सेंट्रल हाल से बेदखल करने वाले अलोकतांत्रिक व अपमानजनक निर्णय के कर्ताधर्ता

लखनऊ : उत्तर प्रदेश को यूं ही उल्टा प्रदेश नहीं कहते, दरअसल यहां सत्ता – शासन और प्रशासन में बैठे लोगों के ऐसे – ऐसे काले कारनामें है , जिसे देख – सुनकर कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति हैरान – परेशान हो जाता है कि आखिरकार ये क्या हो रहा है ? उत्तर प्रदेश की जिस विधान सभा के सेंट्रल हाल से पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है , उसी विधान सभा के प्रमुख सचिव है : प्रदीप कुमार दूबे , जिनके तमाम काले – कारनामों से लेकर उनके द्वारा की गई नियुक्तियां और स्वयं उनकी प्रमुख सचिव के रूप में नियुक्ति पर लगातार विवाद होता आ रहा है।

चित्र : प्रमुख सचिव : प्रदीप कुमार दूबे – तरह– तरह के भ्रष्टाचारों के लिए कुख्यात लेकिन इसके बावजूद कुर्सी पर विराजमान रहते हुए पत्रकारों को सेंट्रल हाल से बाहर करवाने में सफल

प्रदीप दुबे पर कोई आज से विवाद नहीं होता आ रहा है बल्कि योगी आदित्यनाथ से पूर्व अखिलेश यादव और मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में भी उनके ऊपर उंगली उठती रही है। उनसे जुड़े हुए विवादों के मामले राज्यपाल से लेकर न्यायालय तक पहुंच चुके है लेकिन इसके बावजूद उनकी हनक में कोई बदलाव नहीं आया। मुख्यमंत्री कोई भी हो लेकिन विधानसभा में प्रदीप कुमार दूबे का ही सिक्का चलता है। सवाल यह है कि जिस प्रदीप कुमार दूबे के तमाम कदाचार चर्चा का विषय बनते रहे है , वे योगी आदित्यनाथ की कथित तौर पर ‘ जीरों टालरेंस ’ वाली सरकार में भी त्वरित, निष्पक्ष एवं सक्षम जांच से कैसे बचे हुए है ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हो या विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, इन्हें पत्रकारों के कवरेज वाले स्थान ‘ सेंट्रल हाल ’ में पत्रकारों का बैठना सही नहीं जान पड़ता है लेकिन इनकी नाक के नीचे प्रमुख सचिव विधान सभा से जुड़े भ्रष्टाचार और तरह – तरह की अनियमितताएं नहीं दिख रही है। तस्वीर साफ है कि भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर ‘ जीरो टॉलरेंस ’ वाली योगी आदित्यनाथ सरकार में पुलिस और जांच एजेंसियों को दूसरों विशेषकर राजनीतिक विरोधियों के काले कारनामे दिखेंगे लेकिन स्वयं इनके भ्रष्टाचार – कदाचार पर कोई उंगली उठाये, वह इनको वर्दादश्त नहीं जिसकी परिणति सेंट्रल हाल से पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाएं जाने के रूप में सामने है।

** नैमिष प्रताप सिंह

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