सेंट्रल हॉल से बेदखल हुए पत्रकार , मीडिया जगत में मौन शान्ति

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में वर्तमान बजट सत्र में एक ऐसा निर्णय हुआ है जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था के चौथे स्तंभ के खेवनहार पत्रकारों में घोर निराशा व्याप्त है। वर्तमान सत्र के पहले दिन से सेंट्रल हॉल के दोनों गेट पर सुरक्षाकर्मियों को खड़ा करके पत्रकारों को रोक दिया गया। जबकि वर्षों से पत्रकार सदन के संचालन के दौरान यहीं बैठकर मंत्रियों – विधायकों से सवाल करते थे। यहीं पर सत्ता और विपक्ष के नेता पत्रकारों से मिलते थे , बातचीत करते थे , जिसके आधार पर खबरें लिखी जाती थी। एक निर्णय के जरिए सेंट्रल हाल से पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया , जिसके बाद से तमाम पत्रकारों में इस निर्णय को लेकर बेहद नाराजगी है।


उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने विधान सभा अध्यक्ष को इसको लेकर एक पत्र लिखा है लेकिन विधान सभा अध्यक्ष ने इस पर टालने वाला रुख अपनाया है। दरअसल उत्तर प्रदेश में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद सरकार अपने विरूद्ध कुछ भी सुनना नहीं चाहती है। इसलिए विधान सभा कवरेज के दौरान पूर्व में पत्रकारों की पिटाई तक हो चुकी है। सरकार के मंत्री हो या नौकरशाह , ये भ्रष्टाचार या अन्य अनियमितताओ को लेकर कोई सवाल सुनना नहीं चाहते है। चूंकि असेंबली हाल और सेंट्रल हाल विधान सभा के द्वितीय तल पर अगल– बगल था ,इसलिए सत्र के दौरान पत्रकार मंत्रियों को आसानी से घेर लेते थे। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाग रही सरकार के पास पत्रकारों की बोलती बन्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था इसलिए पत्रकारों को सेंट्रल हाल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सदमे वाली बात यह है कि सरकार के इस अपमानजनक और अलोकतांत्रिक निर्णय के खिलाफ़ पत्रकारों में पूर्णतया शान्ति व्याप्त है।

*** नैमिष प्रताप सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *