भारत पर्व ‘हमारी संस्कृति, हमारी पहचान’ सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन 25 दिसम्बर से 15 जनवरी, 2024 तक होगा : जयवीर सिंह

  • सांस्कृतिक महोत्सव-2023 का समापन समारोह उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर 24 जनवरी, 2024 को राजधानी में होगा
  • सांस्कृतिक महोत्सव के दौरान तहसील, जनपद, मण्डलीय मुख्यालय पर विभिन्न विधाओं में प्रतियोगिता का आयोजन होगा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों से कालाकारों की पहचान कर उनकी योग्यता के अनुरूप मंच प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित एवं समृद्ध करने के उद्देश्य से संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा ‘उत्तर प्रदेश पर्व-हमारी संस्कृति, हमारी पहचान के अन्तर्गत संस्कृति उत्सव-2023’ का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए विस्तार से समय सारिणी एवं आवश्यक दिशा-निर्देश प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन तथा धर्मार्थ कार्य मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से 24 नवम्बर, 2023 को जारी करा दिया गया है।
यह जानकारी आज यहाँ प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति, हमारी पहचान सांस्कृतिक महोत्सव-2023 का आयोजन 25 दिसम्बर, 2023 से 15 जनवरी, 2024 तक किया जायेगा। इसका समापन समारोह उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर 24 जनवरी, 2024 को लखनऊ में किया जायेगा। इस आयोजन में विजेता प्रतिभागियों को मेडल, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर पुरस्कृत किया जायेगा।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि संस्कृति उत्सव-2023 की विस्तृत तैयारी, प्रभावी पर्यवेक्षण एवं निर्वाध संचालन हेतु वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के नेतृत्व में प्लानिंग, समन्वय, आयोजन, वित्त, पंजीकरण एवं मीडिया कार्यक्रम स्थल का निर्धारण कार्यक्रम स्थल की व्यवस्था, एवार्ड व सर्टिफिकेट तथा जनसहभागिता हेतु विभिन्न समितियों का गठन कर उनके दायित्वों का निर्धारण करने के लिए समस्त जिलाधिकारियों एवं मण्डलायुक्तों को आवश्यक दिशा-निदेश दिए गये हैं। उन्होंने बताया कि कलाकारों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक विशेष पोर्टल तैयार कराया जायेगा, जिसमें रजिस्ट्रेशन के दौरान ही सभी डाटा फीड कराये जायेंगे। पोर्टल तक पहुँच न रखने वाले अथवा विलम्ब से आने वाले इच्छुक व्यक्तियों हेतु ऑफलाइन ऑन द स्पॉट रजिस्ट्रेशन का विकल्प भी रखा गया है।
जयवीर सिंह ने संस्कृति उत्सव-2023 के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि 25-30 दिसम्बर, 2023 को तहसील मुख्यालय पर गाँव, पंचायत, ब्लॉक एवं तहसील स्तर के कलाकारों की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। इसी प्रकार 01 से 05 जनवरी, 2024 तक जनपद मुख्यालय पर तहसील स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। इसी प्रकार 10 से 15 जनवरी, 2024 तक मण्डलीय मुख्यालय पर जनपद स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता होगी।
जारी समय सारिणी के अनुसार 20-21 जनवरी, 2024 को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मण्डल स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। इसी प्रकार 23 जनवरी, 2024 को लखनऊ में सम्पन्न प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों का उत्तर प्रदेश पर्व में शामिल होने के लिए पूर्वाभ्यास का आयोजन होगा और 24 से 26 जनवरी, 2024 को लखनऊ में उत्तर प्रदेश पर्व के अवसर पर अंतिम रूप से चयनित सभी कलाकारों की प्रस्तुतियां, सम्मान एवं पुरस्कार का वितरण किया जायेगा।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि संस्कृति उत्सव-2023 के व्यापक प्रचार-प्रसार सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उत्तर प्रदेश, संस्कृति विभाग की वेबसाइट तथा अन्य प्रचार माध्यमों से किया जायेगा। उत्तर प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में प्रचलित सांस्कृतिक विधाओं में दक्ष कलाकारों की तलाश कर प्रस्तुतिकरण कराया जायेगा। प्रतियोगिता की विधाओं में गायन, वादन तथा नृत्य को शामिल किया गया है। इसमें खासतौर से शास्त्रीय गायन, ख्याल, ध्रुपद, उपशास्त्रीय गायन, ठुमरी, दादरा, चैती, चैइता, झूला, होरी, टप्पा शामिल हैं।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि लोक गायन के अंतर्गत कजरी, चैती, झूला, बिरहा, अल्हा, निर्गुण, लोकगीत, कव्वाली आदि शामिल हैं। इसके अलावा सुगम संगीत के अंतर्गत गीत, गजल, भजन, देशभक्ति एवं अन्य की प्रतियोगिताएं होंगी। उन्होंने बताया कि वादन के अंतर्गत स्वर वाद्य, सुषिर वाद्य, बांसुरी, शहनाई, हारमोनियम, तन्तु वाद्य, सितार, वायलिन, गिटार, सारंगी, वीणा वादन, आदि को शामिल किया गया है। ताल वाद्य के अंतर्गत तबला, पखावज़, दक्षिण भारतीय मृदंगम्, घटम आदि की प्रतियोगिता होगी।
जयवीर सिंह ने बताया कि जनजाति वाद्य यंत्र, लोक वाद्य के अंतर्गत डफला, नगाड़ा, दुक्कड़, मादल, शहनाई, ढोल, ताशा, ढोलक, नॉल, चिमटा, हुड़का, सिंघा आदि शामिल हैं। नृत्य विधा के अंतर्गत कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिशी, मोहनीअट्म तथा सांस्कृतिक नृत्य तथा लोक नृत्य विधा के अंतर्गत धोबिया, अहिरवा, करमा, शैला, डोंमकच, आखेट नृत्य तथा अन्य जातीय नृत्य। इसके अलावा लोक नाट्य के अंतर्गत नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया तथा नुक्कड़ नाटक आदि विधा की प्रतियोगिताएं होंगी।


पर्यटन मंत्री ने बताया कि सभी प्रतिभागियों को उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, जिसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए संबंधित जनपद का निवासी अपने ही जनपद के क्षेत्र के अंतर्गत चयनित स्थलों पर प्रतिभाग कर सकता है। प्रतियोगिता के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है। यह पंजीकरण संस्कृति विभाग द्वारा निर्धारित पोर्टल पर किया जायेगा। ये प्रतिभागी एक ही विधा में प्रतिभाग कर सकता है। प्रतिभागी कलाकार दल नायक के रूप में अपने सभी सहयोगी कलाकारों का सम्पूर्ण विवरण आधार कार्ड, मोबाइल नं0, पासपोर्ट साइज की दो फोटो अलग से देने होंगे।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि प्रदेश की सांस्कृतिक परम्परा प्राचीन काल से ही धर्म, दर्शन, कला, साहित्य एवं संगीत के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अग्रणी रही है। यहाँ की सांस्कृतिक विरासत में कला एवं संगीत के क्षेत्र में गायन, वादन, नृत्य एवं लोकनाट्य की विभिन्न शैलियों के गुरूओं, आचार्यों एवं कलाविदों की महती भूमिका रही है, जिन्होंने अपनी साधना से अनेक कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश का मान बढ़ाया है। इसमें उत्तर प्रदेश के कलाकारों एवं साधकों को अलग पहचान दी है। राज्य सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण एवं शहरी प्रतिभाओं को सामने लाकर उनकी कला को मंच प्रदान करने के साथ ही उनको समृद्ध बनया जाय।

*** नैमिष प्रताप सिंह

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