लखनऊ : मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से समस्त मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में राजस्व वादों के निस्तारण की प्रगति की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि मण्डलायुक्त बरेली व जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा किसानों की आय में वृद्धि के लिये किया गया प्रयास सराहनीय है। अन्य जनपदों को भी इस तरह के प्रयास करने चाहिये। उन्होंने कहा कि पराली मार्केट प्लेस एप के द्वारा पराली क्रय के लिये स्वतंत्र व पारदर्शी पराली बाजार स्थापित किया जा सकता है। मार्केट लिंकेज कर सीबीजी प्लांटस को पराली आपूर्ति करने से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि जिन जनपदों में सीबीजी प्लांटस स्थापित हैं, उन्हें इस तरह के प्रयास करने चाहिये। इससे पराली जलने की घटनाओं में भी कमी आयेगी।
उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में जल भराव रहता है, उनका डेटाबेस तैयार कर इंटीग्रेटेड पैडी-कम-फिश कल्चर को प्रोत्साहित किया जायेगा। किसानों की आय में वृद्धि के लिये इसे बड़े लेवल पर कराने का प्रयास करना चाहिए। किसानों की ट्रेनिंग की व्यवस्था करायी जाये। जहां भी इस प्रकार से खेती होती है, वहां किसानों का समूह बनाकर भेजा जाये।
उन्होंने कहा कि मण्डलायुक्त लखनऊ ने ‘एक पहल’ के तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों- महिला एवं बाल देखरेख संस्था, कुपोषण व सुरक्षित शहर को कवर किया है, उनकी यह पहल प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि राजकीय बाल गृह में उन बच्चों को रखा जाता है, जो अपने मां-बाप से बिछड़ जाते हैं। सभी जिलाधिकारियों को इन बाल गृह को विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिये। समय-समय पर इन बाल गृहों का निरीक्षण कर सभी मूलभूत आवश्यकताओं का विकास एवं पूर्ति करानी चाहिये, ताकि उन्हें वहां किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
इससे पूर्व, मंडलायुक्त बरेली सौम्या अग्रवाल ने ‘पराली एकत्रीकरण’ पर एक केस स्टडी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि बरेली मण्डल सर्वाधिक मात्रा में धान का उत्पादन होता है, इसलिये यह पराली सरप्लस मण्डल भी है। एक स्वतंत्र, पारदर्शी पराली बाजार स्थापित करने तथा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिये पराली मार्केट प्लेस एप विकसित किया गया। इस एप पर क्षेत्रवार सभी धान किसानों के मोबाइल नं0, वे कब फसल काटेंगे इसका विवरण, पराली की मात्रा, कटाई उपकरण व एग्रीगेटर वाले सभी किसानों का क्षेत्रवार मोबाइल नम्बर, सभी अस्थायी भंडारण स्थानों का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति सीधे, व्यक्तिगत किसान, एग्रीगेटर से संपर्क कर सकता है और अपना ऑर्डर दे सकता है और आपूर्ति ले सकता है। अब तक स्व-पंजीकरण मोड में 10085 मीट्रिक टन पराली के साथ 1000 किसानों का डाटा इस एप पर उपलब्ध है। इस एप से में मदद मिली है।
उन्होंने बताया कि एचपीसीएल द्वारा बदायूं में एक सीबीजी प्लांट स्थापित किया गया है। इस संयंत्र को चलाने के लिये 35000 टन पराली की प्रतिवर्ष आवश्यकता होती है। मार्केट लिंकेज स्थापित न होने के कारण यह संयंत्र नवम्बर, 2022 में क्रियाशील नहीं हो सका। संयंत्र को क्रियाशील करने के लिये अन्य राज्यों से पराली खरीदनी पड़ रही थी, जो उच्च परिवहन लागत के कारण सस्टेनेबल और व्यवहारिक नहीं थी। पराली नेटवर्क स्थापित करने के लिये कृषि विभाग के साथ-साथ विपणन विभाग को भी शामिल किया गया, क्योंकि वे धान खरीद के दौरान धान किसानों के साथ बहुत करीब से जुड़ते हैं। एफपीओ और कुछ बड़े किसानों के साथ बैठक की जो एग्रीगेटर के रूप में काम कर सकते थे, उनका समझौता एचपीसीएल के साथ कराया गया। संयंत्र पूरे वर्ष की आवश्यकता को पूरा करने के लिये पूरे मण्डल में कुल 73 एग्रीमेंट कराये गये। अब तक 35000 मीट्रिक टन वार्षिक आवश्यकता में से 17,500 मीट्रिक टन की पूर्ति हो चुकी है। इससे पराली जलने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आयी है और किसानों के आय में भी वृद्धि हुई है।
इसी क्रम में जिलाधिकारी गोरखपुर कृष्णा करुणेश ने ‘एकीकृत धान सह मछली पालन का अभिनव प्रयोग’ विषय पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि इंटीग्रेटेड पैडी-कम-फिश कल्चर, धान की खेती के साथ-साथ मछली उत्पादन की एक दोहरी कृषि प्रणाली है। कम लागत और बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के धान के साथ-साथ मछली उत्पादन की सरल विधि है। गोरखपुर में लगभग 33 प्रतिशत क्षेत्रफल खरीफ में जलभराव हो जाता है, जिसमें जुलाई से सितम्बर माह तक खेतों में 15 से 30 से0मी0 तक पानी रहता है। कुछ क्षेत्रों में नवम्बर माह तक पानी रहता है। पर्याप्त संभावनाओं के दृष्टिगत गोरखपुर के विकास खण्ड भटहट के ग्राम अमवा में लगभग 50 हे0 में इस तकनीकी का प्रयोग किया गया। जनपद स्तर से कृषकों के सम्पर्क में रहते हुए नियमित हैण्ड होल्डिंग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया गया। इसके प्रयोग से सामान्य की तुलना में 04 से 05 कुंतल प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन हुआ और मछली के रूप में 05 से 06 कुंतल प्रति हे0 कृषकों को अतिरिक्त उत्पाद प्राप्त हुआ। कृषक इससे हुए लाभ से प्रोत्साहित हैं और अगले वर्ष इसे और बड़े क्षेत्रफल में व्यापक रूप से कराये जाने की योजना बनायी जा रही है।
मण्डलायुक्त लखनऊ रौशन जैकब ने ‘एक पहल ’ विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि इसके तहत तीन क्षेत्रों यथा महिला एवं बाल देखरेख संस्था, कुपोषण व सुरक्षित शहर को चिन्हित किया गया। महिला एवं बाल देखरेख संस्थाओं की आधारभूत व रहन-सहन की स्थिति को सृदढ़ करने हेतु स्मार्ट सिटी परियोजना से लगभग 02 करोड़ 20 लाख का धन आवंटन किया गया। राजकीय बाल गृह (शिशु), राजकीय बाल गृह (बालक), राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर), आफ्टर केयर होम तथा वन स्टॉप सेण्टर में आवश्यकतानुसार बाउंड्रीवाल निर्माण अतिरिक्त शौचालय, डायनिंग हॉल, ओपेन जिम, इण्डोर जिम, गेमिंग जोन निर्मित कराने के साथ ही सुविधाजनक रहन-सहन हेतु रोटी मेकर, लॉउड्री मशीन, जनरेटर, एसी, कम्प्यूटर, वैक्यूम क्लीनर, डीप फ्रीजर आदि उपलब्ध कराया गया। महिलाओं व बच्चों के शैक्षणिक, सृजनात्मक विकास के लिये विभिन्न विभागों से सहभागिता सुनिश्चित करायी गयी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तबर्गत चिकित्सकों का नियमित भ्रमण सुनिश्चित कराया गया। राजकीय बालिका गृह, लखनऊ में हेल्थ एटीएम स्थापित किया गया।
उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय बलरामपुर में बाल देखरेख संस्थाओं में आवासित बालक, बालिकाओं, शिशुओं हेतु विशेष ओ0पी0डी0 हेतु सप्ताह में एक निश्चित कराया गया। सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों यथा केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, एसजीपीजीआई में इन बच्चों को प्राथ्मिकता पर उपचार उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया। इसके अलावा राजकीय बाल गृह (शिशु) में 07 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिये विशेष एवं सुपोषित आहार तालिका निर्मित की गई। शिक्षा की निरन्तरता के दृष्टिगत आवासित बालक व बालिकाओं को कक्षा-9 तथा उससे ऊपर की कक्षाओं हेतु अध्यापकों तथा ट्यूशन टीचर की उपलब्धता सुनिश्चित किया गया। कौशल विकास के विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षण के साथ ही कम्प्यूटर प्रशिक्षण हेतु पृथक से कम्प्यूटर टीचर की उपलब्धता सुनिश्चित करायी गई।
सुरक्षित शहर की पहल के रूप में तथा महिलाओं को निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु प्रमुख रेलवे स्टेशनों व रोडवेज बस स्टेशनों पर स्तनपान कराये जाने हेतु केन्द्रों की स्थापना कराया गया। पोषण माह के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर कैम्पों के माध्यम से स्तनपान के लाभ से सम्बन्धित परामर्श प्रदान किया गया। इन प्रयासों से महिला एवं बाल देखरेख संस्थाओं के परिवेश व रहन-सहन में व्यापक सुधार, गृह आधारित आहार तालिका से कुपोषण में निरन्तर गिरावट, स्तनपान के लाभ से सम्बन्धित जागरूकता में वृद्धि व महिलाओं के निजता के अधिकार का रक्षण तथा सामुदायिक भागीदारी व जन सहभागिता में वृद्धि हुई है।
उन्होने बताया कि आगामी कार्ययोजना के हत लखनऊ की भांति राजकीय सम्प्रेक्षण गृह जनपद हरदोई का सुदृढ़ीकरण, सभी सार्वजनिक स्थल जहां महिलाओं का अत्यधिक संख्या में आना-जाना है, ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नरों की स्थापना, लखनऊ मण्डल को कुपोषण मुक्त मण्डल बनाना तथा सभी बाल देखरेख संस्थाओं में समस्त आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता हेतु एक बेहतर समन्वय तथा अनुश्रवण पद्धति विकसित करना है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर गर्ग, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद श मनीषा त्रिघाटिया, सचिव कृषि राज शेखर सहित सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।
- नैमिष प्रताप सिंह